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अवस्थापना सुविधाओं की तारीफ, संवारने पर जोर राष्ट्रीय खेलों में शामिल मेहमान खिलाड़ी, कोच का सकारात्मक दृष्टिकोण खेल भूमि बनने…

उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की बेटियों ने कमाल कर दिखाया है। आज बेटियों की बदौलत…

देहरादून: उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेल के जिम्नास्टिक्स मुकाबलों के पहले दिन शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। शनिवार, 8…

देहरादून: 38वें राष्ट्रीय खेल के फुटबॉल मुकाबलों का समापन मंगलवार को हुआ, जहां पुरुष वर्ग का फाइनल और कांस्य पदक मैच…

खेलों से सपने साकार: उत्तराखंड के युवाओं की मेहनत से संवरता भविष्य देहरादून: उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल ने प्रदेश के युवाओं को न सिर्फ खेलों के प्रति जागरूक किया, बल्कि उन्हें अपने सपनों को पूरा करने की नई प्रेरणा भी दी। इन खेलों ने साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और सही दिशा में प्रयास करने से बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय खेल का आयोजन प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसने बच्चों और युवाओं को खेलों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। खेलों को देखने आई महिलाओं और दर्शकों ने कहा कि इस आयोजन से प्रदेश के युवाओं को खेलों की दुनिया में आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर मिला है। एक दर्शक ने कहा, “राष्ट्रीय खेल के आयोजन से प्रदेश में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिला है। बच्चों ने इन खेलों से सीखा कि मेहनत और टीम वर्क से सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है।” खेलों से मिली नई दिशा  इन खेलों के जरिए बच्चों ने न केवल खेलों में रुचि बढ़ाई, बल्कि यह भी सीखा कि अनुशासन, परिश्रम और समर्पण से ही सफलता संभव है। विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में बच्चों ने भाग लेकर अपने कौशल को निखारने का अवसर पाया। स्टेडियमों में उमड़ी भीड़ और खिलाड़ियों का उत्साह यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में खेलों के प्रति गहरी रुचि है। राज्य के खेल प्रेमियों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह भविष्य में प्रदेश को खेलों की दुनिया में नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगा। स्टेडियम का हुआ विकास  राष्ट्रीय खेल के आयोजन से उत्तराखंड के स्टेडियमों का भी कायाकल्प हुआ है। आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित स्टेडियमों ने खिलाड़ियों को बेहतरीन मंच दिया, जिससे आने वाले वर्षों में यहां से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलने की उम्मीद है। युवाओं के सपनों को मिले पंख इन खेलों से प्रदेश के युवाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्होंने खेलों को करियर के रूप में अपनाने की दिशा में सोचना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय खेल की सफलता ने यह संदेश दिया है कि “अगर मेहनत और लगन हो, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।” उत्तराखंड में खेलों का यह सुनहरा अध्याय न केवल खिलाड़ियों को बल्कि पूरे प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगा।

राष्ट्रीय खेलों की अहम व्यवस्थाओं को संभाल रहीं 1053 महिला वॉलंटियर किसी आयोजन में पहली बार इतनी ज्यादा महिला वॉलंटियर…

देहरादून। 38वें राष्ट्रीय खेल से खिलाड़ियों को मिली कई महत्वपूर्ण सुविधाएं उत्तराखंड में आयोजित किए जा रहे हैं 38वें राष्ट्रीय…

रुद्रपुर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 38वें राष्ट्रीय खेल में स्पोर्ट्स स्टेडियम वेलोड्रोम में साइकिलिंग पदक विजेताओं को मेडल पहना…