एडीएम के अंग्रेज़ी ज्ञान पर उठे सवाल
नई दिल्ली/देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी जिसमें राज्य चुनाव आयुक्त और मुख्य सचिव को यह जांच करने का निर्देश दिया गया था कि क्या एक एडीएम (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) स्तर का अधिकारी, जो अंग्रेज़ी बोलने में असमर्थ है, किसी कार्यकारी पद को प्रभावी ढंग से संभाल सकता है।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि “अगले आदेश तक हाईकोर्ट के 18 जुलाई 2025 के आदेश पर रोक रहेगी।” कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील पर नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
क्या अंग्रेज़ी बोलना कार्यकारी दक्षता की कसौटी?
मामला एक एडीएम रैंक के अधिकारी से जुड़ा है, जो पंचायत चुनावों की मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में शामिल था। सुनवाई के दौरान जब उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिकारी से सवाल किया तो उसने जवाब हिंदी में दिया। पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि वह अंग्रेज़ी समझते हैं, लेकिन बोल नहीं सकते। इस पर हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयुक्त और मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे यह मूल्यांकन करें कि क्या ऐसा अधिकारी कार्यकारी पद की जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभा सकता है।
परिवार रजिस्टर की वैधता पर भी सवाल
मामला फैमिली रजिस्टर की वैधता से भी जुड़ा है, जिसका उपयोग पंचायत मतदाता सूची में नाम जोड़ने के आधार के रूप में किया गया। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या फैमिली रजिस्टर की प्रविष्टियों की सत्यता की कोई पुष्टि की गई थी। जब अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा कोई अन्य दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है, तो अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि यदि यह रजिस्टर इतना महत्वपूर्ण होता, तो उसे उत्तर प्रदेश (निर्वाचकों का पंजीकरण) नियम, 1994 में जगह दी जानी चाहिए थी।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद राहत की सांस
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाए जाने से राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को फिलहाल राहत ली है।