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    Home»राज्य समाचार»उत्तराखण्ड»डिफेंस कालोनी में जमीनों का फर्जीवाड़ा, 16 पूर्व सैन्य अफसरों पर मुकदमा दर्ज, 18 हजार वर्गमीटर से अधिक भूमि का गोलमाल

    डिफेंस कालोनी में जमीनों का फर्जीवाड़ा, 16 पूर्व सैन्य अफसरों पर मुकदमा दर्ज, 18 हजार वर्गमीटर से अधिक भूमि का गोलमाल

    hillwaniBy hillwani उत्तराखण्ड क्राइम
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    देहरादून की डिफेंस कॉलोनी में बड़े स्तर जमीन फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। द सैनिक सहकारी आवास समिति डिफेंस कालोनी की जिस भूमि को स्वीकृत लेआउट प्लान में ओपन स्पेस, पार्क, सामुदायिक उपयोग आदि के लिए आरक्षित किया गया था, उसे बेच दिया गया है। इसके लिए समिति के मूल लेआउट की जगह एमडीडीए में मनमर्जी का लेआउट जमा करा दिया गया। यह सब तभी कर दिया गया था, जब एमडीडीए गठन के बाद लेआउट मांगा गया। उस समय की गई इस कारगुजारी को बाद में भी जारी रखा गया। समिति के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों पर इस खेल को अंजाम देने का आरोप है। बताया जा रहा है कि 18 हजार वर्गमीटर से अधिक की भूमि पर खेल किया गया है। समिति के कुछ सदस्यों की शिकायत पर नेहरू कॉलोनी पुलिस ने 16 पूर्व सैन्य अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया है। जिनमें कर्नल से लेकर ले. कर्नल, कमांडेंट, स्क्वाड्रन लीडर, मेजर रैंक तक के पूर्व अधिकारी शामिल हैं।

    इनके खिलाफ दर्ज किया गया है मुकदमा
    आरएस कली कर्नल सेवानिवृत्त, वीरभान सिंह, एसएम गुसांई कर्नल सेवानिवृत्त, आरएस पैन्यूली कर्नल सेवानिवृत्त, टीपी कुंडालिया पूर्व कैप्टन, एसएल पैन्यूली कर्नल सेवानिवृत्त, एसएस रावत कमांडेंट सेवानिवृत्त, एएस कंडारी लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त, पीएस राणा लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त, वीके नौटियाल पीओएमए सेवानिवृत्त, सीपी सती लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त, जीएस बिष्ट लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त, एसएस बिष्ट स्क्वाड्रन लीडर सेवानिवृत्त, एसएस बिष्ट लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त, एसपीएस नेगी लेफ्टिनेंट कर्नल सेवानिवृत्त व एमएस नेगी मेजर सेवानिवृत्त

     

    यह है द सैनिक सहकारी आवास समिति में फर्जीवाड़े का पूरा विवरण (तहरीर के अनुसार)

     

    द सैनिक सहकारी आवास समिति लिमिटेड, डिफेंस कॉलोनी, देहरादून के पदाधिकारियों द्वारा कूटरचना, धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र कर ओपन स्पेस/खुली भूमि का अवैध विक्रय करने व कूटरचित दस्तावेज की संरचना करने के संबंध में यह शिकायत कर्नल (से.नि.) रमेश प्रसाद सिंह, निवासी D-104, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी देहरादून, लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि.) त्रिजीवन सिंह पयाल, निवासी D-82, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी देहरादून तथा विजय मोहन नाथ, निवासी D-90, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी देहरादून ने दर्ज कराई है।

    जिसमें कहा गया है कि प्रार्थीगण अनेक वर्षों से डिफेंस कॉलोनी देहरादून के निवासी हैं एवं उक्त कॉलोनी की गतिविधियों, कॉलोनी से जुड़े विषयों तथा अनियमितताओं से प्रत्यक्षतः परिचित हैं। प्रार्थीगण डिफेंस कॉलोनी सोसाइटी के सदस्य हैं तथा प्रार्थीगण का हित डिफेंस कॉलोनी की संपत्ति/हित में निहित है व डिफेंस कॉलोनी सोसाइटी की संपत्ति/भूमि को हुई हानि से प्रार्थिगण को भी हानि हो रही है। द सैनिक सहकारी आवास समिति लिमिटेड डिफेंस कॉलोनी देहरादून का प्रारंभिक गठन वर्ष 1964 में किया गया, जिसका औपचारिक रजिस्ट्रेशन 08-03-1967 को रजिस्ट्रार, यूपी कोऑपरेटिव सोसाइटी, लखनऊ (Regd No. 744) के अंतर्गत हुआ। उक्त समिति का पंजीकरण मूल रूप से The Sainik Cooperative House Building Society Ltd. नाम से हुआ था।

    उक्त समिति को मुख्यतः सेना के सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मियों तथा उनके परिवार को आवासीय सुविधा प्रदान करने तथा उनके कल्याणकारी हितों को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। जिसके लिए दिनांक 04 सितंबर 1964 को तत्कालीन सेना अधिकारियों ने कुठियाला ब्रदर्स से गोरखपुर टी एस्टेट की भूमि कुल रकबा 183.89 एकड़ (रु. 9,83,350 की कुल कीमत पर) खरीदी। भूमि खरीद के लिए सेना मुख्यालय (Army HQ) द्वारा अनुदान के रूप में उक्त राशि उपलब्ध कराई गई थी। ताकि डिफेंस कॉलोनी नाम से एक सुव्यवस्थित आवासीय कॉलोनी विकसित की जा सके। इस भूमि को विकसित कर डिफेंस कॉलोनी के रूप में आवासीय प्लॉटों की व्यवस्था की गई। प्रारंभिक तौर पर 680 प्लॉट, जिनका विवरण निम्नानुसार था, का स्वीकृत लेआउट प्लान तैयार हुआ, जिसे 13-12-1967 को यूपी टाउन एंड प्लानिंग डिपार्टमेंट, लखनऊ की स्वीकृति के अंतर्गत मान्यता मिली (पत्र संख्या 3360/38/TP/67 दिनांक 13-12-1967)। इसके उपरांत तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट/प्रिस्क्राइब्ड अथॉरिटी देहरादून ने इस स्वीकृत लेआउट प्लान पर दिनाक 29-09-1968 को हस्ताक्षर कर, उसकी पुष्टि की।

    स्वीकृत प्लॉटों का विवरण निम्नानुसार था। 1. टाइप A (250 गज) A1 से A100 (कुल 100 प्लॉट) 2. टाइप B (500 गज) B1 से B239 (कुल 239 प्लॉट) 3. टाइप C (800 गज़) C1 से C203 (कुल 203 प्लॉट) 4. टाइप D (1200 गज) D1 से D116 (कुल 116 प्लॉट) 5. टाइप E (1800 गज़) E1 से E22 (कुल 22 प्लॉट) कुल मिलाकर 680 स्वीकृत प्लॉट ही वैध रूप से अभिकल्पित/अंकित किए गए थे। समिति की मूल उपविधियों Rules and Bye-laws for the construction of houses 1968 में स्पष्ट उल्लेख था कि कॉलोनी में किसी भी भवन का निर्माण स्वीकृत लेआउट प्लान के अनुसार ही किया जाएगा। भवनों की नंबरिंग भी इसी लेआउट प्लान के तहत होगी तथा यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि कॉलोनी मुख्य रूप से रक्षा सेवा कर्मियों के उपयोग के लिए बनी है और प्लॉट धारकों को रक्षा सेवा कर्मियों के अलावा किसी अन्य को भूमि की विक्रय या हस्तांतरण करने की अनुमति नहीं होगी।

    Uttar Pradesh (Regulation of Building Operations) Directions 1960 के अनुसार ओपन स्पेस/खुले स्थानों का उपयोग केवल पार्क, खेलकूद एवं सामुदायिक/मनोरंजन की गतिविधियों के लिए ही किया जा सकता था तथा उन पर किसी भी स्थायी निर्माण अथवा व्यावसायिक उपयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध रहेगा। जब मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) का गठन हुआ और समिति को स्वीकृत लेआउट प्लान की प्रति जमा करने को निर्देशित किया गया, तब वर्ष 1986 में समिति के कुछ पदाधिकारियों/तत्कालीन सचिव-कम-मैनेजर ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत तथा धोखाधड़ी करने के उद्देश्य से उक्त 680 प्लॉटों के स्वीकृत लेआउट प्लान की जगह 726 प्लॉटों वाला एक फर्जी व कूटरचित लेआउट प्लान मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) में जमा कर दिया। समिति के कुछ पदाधिकारियों ने 680 प्लॉटों के अलावा लगभग 46 अतिरिक्त प्लॉट अवैध रूप से बिना किसी अधिकार के, ओपन स्पेस से तराश कर विक्रय कर दिए। इस बिक्री में उनके द्वारा मोटी धनराशि प्राप्त की गई, जिसे आपराधिक षड़यंत्र के तहत फर्जी तरीके से उन 726 में सम्मिलित कर यह दर्शाया गया कि 726 प्लॉट ही स्वीकृत हैं। जबकि वास्तव में 726 प्लॉट का वह लेआउट प्लान कभी स्वीकृत हुआ ही नहीं।

    इतना ही नहीं, समिति के पदाधिकारियों ने जो 726 प्लॉट वाला फर्जी व कूटरचित लेआउट प्लान मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) में जमा किया गया था, उसमें उनके द्वारा स्वीकृति की तिथि को आपराधिक षड्यंत्र के तहत व धोखाधड़ी करने के आशय से बदलकर, स्वीकृति वर्ष को 1988 किया गया। इसके अतिरिक्त उसी नक्शे पर 24.3.86 की तिथि में “Society Secretary cum Manager” के हस्ताक्षर/मुहर लगी हुई है, जो अपने आप में कूटरचना और धोखाधड़ी है। क्योंकि उक्त समिति के Society Secretary cum Manager ने 24.3.86 को भविष्य में 29.9.88 को होने वाली स्वीकृति में अंकित किया है। यह कि इसके बाद समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों (जिनका विवरण आगे दिया गया है) के द्वारा 726 प्लॉट के उक्त फर्जी व कूटरचित प्लान को आधार बनाकर समिति ने ओपन स्पेस (खुले भूभाग) में से लगभग 54 अतिरिक्त प्लॉट तराशे और मनमाने ढंग से अनुचित लाभ अर्जित करते हुए फर्जी मानचित्र की संरचना कर तथा फर्जी रेजोल्यूशन की भी संरचना में शामिल कर अवैध रूप से तथा बिना अधिकार के विक्रय कर दिए।

    इस प्रकार समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों (जिनका विवरण आगे दिया गया है), ने कॉलोनी के 680 प्लॉट के मूल स्वीकृत लेआउट प्लान के अतिरिक्त, लगभग 100 अतिरिक्त प्लॉट सार्वजनिक/खुले भूभाग (ओपन स्पेस) से अवैध रूप से तथा बिना किसी अधिकार के तराश कर विक्रय कर दिए। कई मामलों में नवीन/पुराने सदस्यों को एडिशनल लैंड भी बेचा गया। जिससे कॉलोनी की जनता तथा पर्यावरण दोनों को व्यापक नुकसान हुआ। RTI से मिली जानकारी (पत्र संख्या RT1/033/13/8321 दिनांक 25 जुलाई 2013) के अनुसार, उक्त के अतिरिक्त लगभग 18,281 वर्ग मीटर अतिरिक्त भूमि, जो सार्वजनिक/खुले भूभाग थे तथा जो कि सभी सदस्यों के हित के लिए छोड़े गए थे, को 125 से अधिक विक्रय प्रत्रों के माध्यम से अवैध रूप से विक्रय कर अनुचित लाभ अर्जित किया गया है। जो ना केवल स्वीकृत लेआउट प्लान का घोर उल्लंघन है, बल्कि जो जमीन बेची गई है, वह प्रचलित सर्किल रेट से भी कम पर बेची गई है।

    कुछ लाभार्थी स्वयं समिति के पूर्व/वर्तमान पदाधिकारी, प्रबंधन समिति के सदस्य या निर्वाचित डेलीगेट रहे हैं। जो अपने पद का दुरुपयोग करके इन गैरकानूनी/आपराधिक गतिविधियों को लगातार अंजाम देते रहे हैं। ये सभी नए carved plots न तो वर्ष 1967 के स्वीकृत लेआउट प्लान में थे, न ही वैधानिक रूप से किसी सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से स्वीकृत हुए। विशेष रूप से, समय-समय पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Managernent) के पद पर तैनात रहे अनेक अधिकारीगण जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपर्युक्त अवैध गतिविधियों में शामिल रहे हैं तथा जिनकी गैरकानूनी/आपराधिक गतिविधियां आज भी निरंतर जारी है। जिसका वर्षवार विवरण निम्नानुसार है-1.अध्यक्ष (Chairman) कर्नल (से.नि.) एसएम गुसाईं दिनांक 08.12.2004 से 02.10.2005, 2. कर्नल (से.नि.) आरएस पैन्यूली दिनांक 04.04.2009 से 04.04.2012 तथा पुनः 14.04.2013 से, 3. पूर्व कैप्टन टीपी कुंडालियाः दिनांक 21.08.2018 से…उपाध्यक्ष (Vice-Chairman): 1. कर्नल (से.नि.) एसएल पैन्यूली: दिनांक 20.09.1997 से, 2. कमांडेंट (से.नि.) एसएस रावतः दिनांक 10.04.2007 से 03.04.2009 3. लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि.) एएस कंडारीः दिनांक 04.04.2009 से 04.04.2012 4. लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि.) पीएस राणाः दिनांक 15.04.2013 से 30.10.2015 5. पीओएमए (से.नि.) बीके नौटियालः दिनांक 22.08.2018 से 21.08.2023 सचिव (Secretary): 1. लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि.) सीपी सती: दिनांक 01.05.1994 से 16.12.1995 2. लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि) जीएस बिष्टः दिनांक 15.08.1997 से 14.01.1998 3. कमांडेंट (सेनि) एसएस. रावतः दिनांक 15.09.1998 से 05.09.2000 4. स्क्वाड्रन लीडर (से.नि.) एसएस बिष्टः दिनांक 06.09.2000 से 17.11.2001 5. लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) ए.एस. बिष्टः दिनांक 18.11.2001 से 31.12.2002 6. लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) एएस कंडारी: दिनांक 20.05.2002 से 12.02.2009 7. लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) एसपीएस. नेगी: दिनांक 19.09.2009 से 15.01.2010 8. मेजर (सेनि) एमएस. नेगी: दिनांक 05.02.2018 से 30.11.2020 9. कर्नल (सेनि) आरएस खत्रीः जो दिनांक 01.12.2020 से वर्तमान तक सोसाइटी के सचिव के रूप में कार्यरत हैं।

     

    प्रशासक (Administrator): 1. श्री एच.बी. पुरोहितः दिनांक 03.10.2005 से 02.04.2007 2. श्री बी.ऐस. रावतः दिनांक 05.04.2012 से 14.04.2013 तथा पुनः 15.04.2018 से 21.08.2018 3. श्री वीर भान सिंह जो दिनांक 22.08.2023 से वर्तमान तक सोसाइटी के प्रशासक (Administrator) के रूप में कार्यरत हैं। प्रबंधन समिति (Committee of Management) (वर्ष 2018 से 2023 तक प्रबंधन समिति के सदस्य) 1. श्रीमती चंद्रा रावत 2. श्रीमती सरला देवी 3. कर्नल (से०नि०) एम.एम. उनियाल 4. कर्नल (से०नि०) एल.एम. पंत 5. पूर्व कैप्टन वी.के.एस. कार्की 6. लेफ्टिनेंट कर्नल (से०नि०) आर.एल. शर्मा 7. लेफ्टिनेंट कर्नल (से०नि०) अमर सिंह कंडारी 8. पूर्व कमांडेंट (से०नि०) एस.एस. रावत यह कि उपरोक्त व्यक्ति वर्ष 1986 के बाद से लगातार “ओपन स्पेस/खुले भूभाग” को बिना किसी अधिकार के, धोखाधड़ी कर अनुचित लाभ अर्जित करते हुए अवैध रूप से बेचते आ रहे हैं और उनके यह अवैध कृत्य आज भी निरंतर जारी हैं।

     

    प्लाट बेचने का विवरण, सर्किल रेट से कम पर बिक्री सवालों में
    1. दिनांक 19-05-2022 को श्री भरत सिंह नेगी को एक विक्रय विलेख द्वारा 103.18 वर्गमीटर अतिरिक्त भूमि जो उनके मूल स्वीकृत प्लॉट B-238 से जुड़ी हुई थी, विक्रय की गई। इस “ओपन स्पेस” को मिलाकर प्लॉट को और बड़ा किया गया, जबकि यह पूर्णतः अवैध है। यह उल्लेखनीय है कि उक्त विक्रय विलेख का विक्रय प्रतिफल मु0 4,12,720/-रूपये था, परंतु उस समय प्रचलित सर्किल रेट के अनुसार भूमि का मूल्यांकन मु० 10,31,800/-रूपये था, तथा बजारी मूल्य उससे भी कहीं गुना अधिक था। यह कि उक्त दर्शित विकृत भूमि विक्रय हेतु नहीं थी, अपितु सदस्यों/जनमानस के सार्वजनिक उपयोग में लाए जाने हेतु छोड़ी गई थी। उक्त विक्रय विलेख के निष्पादन के समय, समिति के अध्यक्ष, पूर्व कैप्टन श्री टीपी कुंडालिया, उपाध्यक्ष, पी०ओ०एम०ए०, बीके नौटियाल (से०नि०) एवं सचिव, कर्नल (से०नि०) आर.एस. खत्री, जो वर्तमान में भी समिति के सचिव हैं, द्वारा उक्त प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों, अन्य पदाधिकारियों तथा क्रेता भरत सिंह नेगी के साथ मिलीभगत कर, आपराधिक षड्यंत्र के तहत उक्त “ओपन स्पेस” भूमि को अवैध रूप से, बिना अधिकार के, अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से, प्रचलित सर्किल रेट से काफी कम मूल्य पर विक्रय किया गया है, जो अवैधानिक एवं विधि विरुद्ध है।

    2. दिनांक 19-12-2022 को कर्नल एम.एस. पयाल, जिनका मूल प्लॉट बी-260 था, को एक विक्रय विलेख द्वारा 235.22 वर्गमीटर अतिरिक्त भूमि विक्रय की गई तथा लेफ्टिनेंट कर्नल यू.एस. रावत जिनका मूल प्लॉट बी-263 था, को एक विक्रय विलेख द्वारा 261.97 वर्गमीटर अतिरिक्त भूमि विक्रय की गई। उल्लेखनीय है कि कर्नल एम.एस. पयाल व लेफ्टिनेंट कर्नल यू.एस. रावत के मूल प्लॉट “B” श्रेणी के प्लॉट है, जो पहले से ही समिति के उपरोक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों द्वारा ओपन स्पेस से अवैध रूप से, बिना अधिकार के, तथा खुद को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से काटे गए थे, जबकि 1967 के स्वीकृत लेआउट प्लान में कुल 239 “B” श्रेणी के प्लॉट निर्धारित किए गए थे।

    अतिरिक्त रूप से यह भी स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि उक्त विक्रय विलेख के निष्पादन के समय पर भी सोसाइटी का संचालन पूर्व कैप्टन टी.पी. कुंडालिया (अध्यक्ष), पी०ओ०एम०ए० बी. के. नौटियाल (से०नि०) (उपाध्यक्ष) तथा कर्नल (से०नि०) श्री आर.एस. खत्री (जो वर्तमान में भी सोसाइटी के सचिव हैं) द्वारा उपरोक्त प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर किया जा रहा था, जिन्होंने क्रेता कर्नल एम. एस. पयाल व लेफ्टिनेंट कर्नल यू.एस. रावत के साथ मिलीभगत कर, धोखाधड़ीपूर्ण ढंग से, बिना अधिकार के तथा अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से, निष्पादित किया गया था। अब उसी “ओपन स्पेस” का फिर से विक्रय किया जाना साफ़ तौर पर कूटरचना और धोखाधड़ी को इंगित करता है।

    सिविलियन को भी बेचा गया प्लाट
    3. दिनांक 06-04-2024 को समिति ने 262.53 वर्गमीटर “ओपन स्पेस की भूमि जगवंती देवी, जो एक सिविलियन है और जो रक्षा कर्मियों की श्रेणी में नहीं आती, तथा जो डिफेंस कॉलोनी के नियमों के अनुसार सोसायटी की सदस्य बनने के योग्य नहीं है और जिस कारण वहाँ पर भूमि भी नहीं क्रय सकती है, को आपराधिक षड्यंत्र के तहत, कूटरचित दस्तावेजों की संरचना कर तथा सोसायटी की सदस्यता दिलाए बगैर ही भूमि बजारी मूल्य से कहीं गुना कम मूल्य पर मु० 42,00,480/- रूपये में विक्रय कर दी गई, जबकि सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य सेना के सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराना था। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में, समयानुसार सोसाइटी के चुनाव न हो पाने के कारण, प्रबंधन समिति (Committee of Management) भंग हो चुकी थी, तथा सोसाइटी का संचालन मात्र प्रशासक (Administrator) श्री वीर भान सिंह एवं सचिव कर्नल (से०नि०) आरएस खत्री के अधीन चल रहा था। फलतः किसी भी नए सदस्य को वैधानिक रूप से शामिल करने तथा सदस्यता की पुष्टि (ratification) करने के लिए कमेटी उपलब्ध नहीं थी। अतः कथित रूप से यदि जगवंती देवी जो प्राथमिक तौर पर सोसायटी की सदस्य बनने के योग्य नहीं है, को सदस्य बनाया भी गया हो, तो उसकी सदस्यता विधिक रूप से मान्य नहीं हो सकती।

    इतना ही नहीं, दिनांक 06-09-2024 को उपरोक्त “262.53 वर्गमीटर” में से 116.46 वर्गमीटर भूमि पुनः किसी अन्य बाहरी व्यक्ति (जिला ऋषिकेश/देहरादून) के पक्ष में मु० 19 लाख रूपये में विक्रय कर दी गई। उक्त विक्रय न केवल ओपन स्पेस के उपयोग के विरुद्ध है, बल्कि सोसाइटी के मूल उद्देश्य का भी उल्लंघन करता है। उक्त विक्रय पत्र समिति के वर्तमान प्रशासक (Administrator) वीर भान सिंह एवं सचिव कर्नल (से०नि०) आर.एस. खत्री द्वारा समिति के उपरोक्त पूर्व अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर, आपराधिक षड्यंत्र के तहत, कूटरचित दस्तावेजों की संरचना कर तथा बिना किसी अधिकार के निष्पादित किया गया है। यह कि उक्त भूमि, जो सभी सदस्यों के सार्वजनिक उपयोग में लाए जाने हेतु छोड़ी गई थी तथा जिसमे सभी सदस्यों का हित निहित था, को अवैध रूप से विक्रय करना अपने-आप में गंभीर अनियमितता व धोखाधड़ी है।

    उक्त से स्पष्ट है कि समिति के उपरोक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों व अन्य पदाधिकारियों ने मिलीभगत कर, आपराधिक षड्यंत्र के तहत, डिफेंस कॉलोनी के निवासियों को धोखा देते हुए, अवैध व कूटरचित दस्तावेजों की संरचना कर, डिफेंस कॉलोनी की सार्वजनिक भूमि को अवैध रूप से बेचकर, अनुचित लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से, व सोसाइटी के सदस्यों के उपयोग हेतु सार्वजनिक भूमि को खुर्द-भुर्द करते हुए, समिति के “Rules and Bye-laws for the construction of houses” नियमों व स्वीकृत लेआउट प्लान की खुलेआम जानबूझकर कूटरचना व अवहेलना करते हुए व अवैध हितों की पूर्ति करने हेतु तथा ओपन स्पेस उपयोग के नियमों का उलंघन कर, “ओपन स्पेस/खुले भूभाग” की भूमि को तथा “ओपन स्पैस/खुले भूभाग में से कई नए अवैध प्लॉट तराश कर विक्रय कर दिये और कुछ अनियमित निर्माण भी कर डाले, तथा उनके यह अवैध कृत्य आज भी निरंतर जारी है।

    विरोध करने पर भी नहीं की कोई कार्रवाई
    प्रार्थीगण को प्राप्त सूचनाओं एवं दस्तावेजों के अनुसार इस अवैध प्रक्रिया में समिति के उपरोक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्य, निर्वाचित डेलीगेट्स व अन्य पदाधिकारी भी शामिल रहे है, जिनमें से कुछ ने स्वयं ओपन स्पेस पर खुद प्लॉट लिया या अन्य लाभार्थियों को गलत तरीके से व अनुचित लाभ लेकर आवंटित करवाया। यह कि इनमें से कई लोग राजनीतिक रूप से प्रभावशाली, धनबल एवं बाहुबल के दम पर अपने कृत्यों को निरंतर जारी रखे हुए हैं, जिससे आम निवासी भयभीत व प्रताड़ित हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि उक्त सभी अवैधानिक कृत्य, समिति के मूल उद्देश्य के विपरीत है तथा उनके कृत्य एक दंडनीय अपराध है। यह कि प्रार्थीगण एवं सोसाइटी के अन्य निवासियों ने अनेक अवसरों पर लिखित पत्रों के माध्यम से अथवा सोसाइटी की वार्षिक आम बैठकों (Annual General Meetings) में- ओपन स्पेसेज की अवैध कन्वर्जन एवं विक्रय का विरोध किया, व 1968 के “Rules and Bye-laws for the construction of houses” का उल्लंघन करने तथा 1967 के मूल स्वीकृत लेआउट प्लान के विपरीत अवैध कार्य करने पर आपत्ति की तथा कूटरचित प्रस्ताव व बिना अधिकार सार्वजनिक भूमि विक्रय करने का विरोध किया, लेकिन समिति के उपरोक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों एवं अन्य पदाधिकारियों व अन्य दोषी व्यक्तियों द्वारा इन आपत्तियों की उपेक्षा की गयी और कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।

    एमडीडीए के नोटिस के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
    इतना ही नहीं, प्रार्थीगण ने समय-समय पर इन अनियमितताओं की शिकायतें संबंधित विभागों में भी दर्ज कराईं, परंतु समिति के कुछ दिग्गज पदाधिकारी राजनैतिक संरक्षण, भ्रष्ट आचरण एवं उच्च-स्तरीय संपर्कों का प्रयोग करके संबंधित अधिकारियों पर दबाव डालते हैं और शिकायतों पर कोई भी कार्यवाही नहीं होने देते- 28 सितंबर 2020 को एम०डी०डी०ए० चेयरमैन को पत्र RWA/05/2020 (एम०डी०डी०ए० द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने का संदर्भ देते हुए, उनका ध्यान आकृष्ट कराने हेतु)। 18 दिसम्बर 2020 को रजिस्टार, कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ (उत्तराखण्ड) को पत्र, जिसमें समिति द्वारा ओपन स्पेस बेचे जाने और फर्जीवाड़े के आरोप लगाए गए।पूर्व में भी 09.06.2020 व 30.06.2020 को उत्तराखण्ड शहरी विकास प्राधिकरण/MDDAकी ओर से समिति को नोटिस (पत्र संख्या 193/417) जारी हुआ, किंतु उस पर आज दिनांक तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई।

    इस प्रकार प्रार्थीगण एवं सोसाइटी के निवासियों की शिकायतों को लगातार अनदेखा किया जाता रहा, जिसके फलस्वरूप अवैध गतिविधियाँ बदस्तूर जारी रहीं।यह कि द सैनिक सहकारी आवास समिति लिमिटेड, डिफेन्स कॉलोनी, देहरादून के उपरोक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, प्रशासक (Administrator), प्रबंधन समिति (Committee of Management) के सदस्यों एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा ओपन स्पेस/खुले भूभाग व सदस्यों के सार्वजनिक उपयोग की भूमि को फर्जी व कूटरचित प्रस्ताव पारित कर अवैध रूप से विक्रय करना, तथा अनुचित लाभ अर्जित करना एवं सदस्यों/निवासियों को ठगना, गैर-सदस्यों (विशेषतः सिविलियन, जो रक्षा-कर्मियों की श्रेणी में नहीं आते) को जमीन बेचना, वर्ष 1986 में फर्जी लेआउट प्लान बनाना, उसमें तिथि/हस्ताक्षर इत्यादि से छेड़‌छाड़ कर सरकारी संस्था (MDDA) के समक्ष प्रस्तुत करना, राजस्व/शहरी विकास कानूनों का उल्लंघन करना, कूटरचित प्लान/दस्तावेजों के आधार पर प्लॉटों का अवैध विक्रय तथा विकास प्राधिकरण व अन्य संस्थाओं के समक्ष कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर, उनके साथ भी धोखाधड़ी करना, एक गंभीर प्रकृति का संज्ञेय अपराध है, जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420, धारा 467, धारा 468, तथा धारा 471 की परिधि तक आता है। यह कि उक्त प्रकरण में गहनता से विवेचना किए जाने पर और तथ्य/साक्ष्य प्रकाश में आने की पूर्ण संभावना है।

    अतः तहरीर में प्रार्थना की गई है कि उक्त के संबंध में प्रार्थीगण की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर से कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। दिनांक: 07.02.2025 प्रार्थीगण (1) कर्नल (से०नि०) रमेश प्रसाद सिंह पुत्र स्व० श्री जगन्नाथ प्रसाद सिंह, निवासी D-104, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी, देहरादून। (2) लेफ्टिनेंट कर्नले (से०नि०) त्रिजीवन सिंह पयाल पुत्र स्व० श्री रणजीत सिंह पयाल, निवासी D-82, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी, देहरादून। (3) श्री विजय मोहन नाथ पुत्र स्व० डॉ० दीवान पीताम्बर नाथ,निवासी D-90, सेक्टर-4, डिफेंस कॉलोनी,देहरादून।नोट नकल तहरीर थाना हाजा कम्प्यूटर पर शब्द व शब्द टाईप कियाग या कानि0 1174 राजेश जयाडा थाना नेहरू कालोनी देहरादून दिनांक 09/02/2025

    against 16 former case registered Fraud of land in Defense Colony military officers more than 18 thousand square meters of land lost

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